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Wednesday, December 27, 2017

मज़दूर संगठन समिति को झारखण्ड सरकार द्वारा प्रतिबंधित करने के विरोध में भगत सिंह छात्र मोर्चा का बयान।





मजदूर संगठन समिति पर प्रतिबंध सीधे-सीधे संविधान द्वारा मिले मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध है। ये झारखण्ड में भाजपा सरकार द्वारा उठाया गया एक फासीवादी कदम है। जिसका हम कड़े से कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और झारखंड सरकार से मांग करते है की जल्द से जल्द और बिना शर्त अपना प्रतिबन्ध ह
हटाए। यह संगठन झारखण्ड की जनता का संगठन है। यह वहां के मजदूरों और आदिवासियों की आवाज है। जो कि ट्रेंड यूनियन कानून के अनुसार खुद एक पंजीकृत संगठन है, जिस पर प्रतिबंध भी संविधान के अनुसार श्रम विभाग और उसके रजिस्ट्रार लगा सकते हैं। वो भी अचानक नहीं, इसके लिए भी उसे दो महीने पहले नोटिस देना पड़ता है और जांच में अगर संगठन असामाजिक काम करता हुआ मिला तभी वो इसकी सदस्यता रद्द कर सकते हैं। लेकिन झारखण्ड की भाजपा सरकार खुद ट्रेड यूनियन कानून का उलंघन करते हुए 30 साल पुराने पंजीकृत मजदूर संगठन समिति को अपराध विधि संशोधन अधिनियम 1908 की धारा 16 के अंतर्गत 20 दिसम्बर 2017 को प्रतिबंधित कर दिया। ये कहते हुए की यह संगठन माओवादियों का फ्रंटल(मुखौटा) संगठन है, जो मजदूरों और आदिवासियों को राज्य के खिलाफ भड़का रहा है। जिसे से राज्य में शान्ति भंग होने का खतरा है और यह क्रांतिकारी कवि वरवर राव को अपने कार्यक्रम में बुलाते हैं। जो आदिवासियों को सरकार के खिलाफ भड़काते हैं। यही नही झारखण्ड सरकार को मजदूर संगठन समिति के द्वारा किए जा रहे समाजिक कामों से भी खतरा नजर आ रहा है और इसकी शान्ति भंग हो रही है। जिसमें इस संगठन द्वारा आदिवासियों और मजदूरों के बीच कम्बल बाँटना उनकी जरूरत पड़ने पर आर्थिक सहयोग करना और उनके नि:शुल्क इलाज के लिए गिरिडीह के मधुबन में अस्पताल खोलना। यही सब कारण बता कर इस संगठन को प्रतिबंधित किया गया है। जो कि कहीं से न तो असामाजिक काम है और न ही अलोकतांत्रिक। दरअसल मजदूर संगठन समिति को प्रतिबंधित करने के पीछे मामला कुछ और है। इसी साल गिरिडीह के मधुबन में एक डोली मजदूर मोतीलाल बास्के को नक्सली कमांडर कह कर फर्जी एनकाउंटर में गोली मार दिया। जिसमें कई पुलिस अधिकारी भी फंसे है। जिसको ले कर यह संगठन एक आंदोलन चला रहा है। जिसकी जांच होने पर कई अफसर जेल जा सकते हैं। इसी से ध्यान हटाने और मजदूरों तथा आदिवासियों की आवाज बंद करने के  लिये मजदूर संगठन समिति पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसका एक और बड़ा कारण "मोमेंटम झारखण्ड" है, जिसके तहत कई सारी कंपनियों को झारखण्ड की संसाधन लूटने की खुली छूट देना है। जिसके खिलाफ यह संगठन पूरे झारखण्ड में विरोध करता है। यही सब कारणों से मजदूर संगठन समिति को प्रतिबंधित किया गया है। अगर झारखण्ड की शान्ति भंग हो रही है तो इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ वहाँ की सरकार जिम्मेदार है। जिसने वहाँ के संसाधनों को लूटने और नक्सल सफाया के नाम पर ग्रीन हंट के नाम से कई सालों से जनता पर बर्बर हमला कर रही है। झारखण्ड में शांति तभी कायम होगी जब सरकार ये सब बंद करेगी। अतः हम झारखण्ड सरकार से मांग करते है कि जनता पर हमले करना बंद करे, जनता के संगठनों को प्रतिबंधित करना बंद करे और मजदूर संगठन समिति पर से प्रतिबंध तत्काल हटाए।
         -अनुपम, सहसचिव, भगत सिंह छात्र मोर्चा

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