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Saturday, October 28, 2017

साईबाबा ने जेल से लिखा पत्नी को पत्र, कहा मैं यहां जिंदगी की आखिरी सांसें ले रहा हूं

शोषित - दलित के पक्ष में खड़ा होना ही इस जनविरोधी, फासीवाद के पोषक सत्ता को सबसे बड़ा जुर्म नजर आता है। शोषितों के हक में आवाज बुलंद करनेवाले प्रोफेसर साई के साथ ( जो कि शारिरिक रूप से 90% अक्षम हैं ) जेल मे जानवरो सा बर्ताव किया जा रहा है।
स्वास्थ्य बिगड़ने के बाबजूद कोई सेवा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। बुखार होने और ठंड से कांपने के बावजूद न तो उन्हें एक कंबल उपलब्ध कराया जा रहा है न ही पहनने के लिए ही कोई गर्म कपड़ा ।इनका स्वास्थ्य बदतर होता जा रहा है ।यह सब इन्होने जेल से अपनी जीवनसाथी को लिखे पत्र में बताया है। आमजन के साथ खड़े होने वाले प्रोफेसर साईं के लिए आज सभी बुद्धिजीवियों और जनवादियों को आवाज उठाने की जरूरत है।
                       -जनज्वार से हिंदी में

प्रिय वसंता
मुझे दस्तक दे रही सर्दियों के बारे में सोचकर ही डर लग रहा है। पहले से ही मुझे लगातार बुखार बना हुआ, परेशान हूं मैं बुखार से। मेरे पास सर्दी से बचाव के लिए एक कंबल तक नहीं है। न ही मेरे पास स्वेटर या जैकेट पहनने के लिए है, जिससे कि मैं ठंड से अपना बचाव कर सकूं। जैसे—जैसे ठंड दस्तक दे रही है मेरे पैरों में और बाएं हाथ में लगातार दर्द बढ़ता जा रहा है।

नवंबर से शुरू होने वाली सर्दी के दौरान मेरे लिए यहां सर्वाइव करना लगभग असंभव जैसा है। मैं यहां उस की तरह जी रहा हूं, जो अपनी अंतिम सांसों के लिए संघर्ष कर रहा हो। मैंने यहां किसी तरह ये 8 महीने बिताए हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ठंड में मैं यहां जीवित रह पाउंगा। इस बात का मुझे पूरा यकीन है। मुझे नहीं लगता कि मुझे और ज्यादा अपने स्वास्थ्य के बारे में लिखने की जरूरत है।  
कृृपया किसी भी तरह इस महीने के आखिर तक या इससे पहले किसी वरिष्ठ वकील को मेरे केस को देखने के लिए फाइनल करो। मिस्टर गाडलिंग को मेरी जमानत अर्जी नवंबर के पहले हफ्ते या अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में ही तैयार करने को कहो। तुम्हें पता है कि अगर मेरी जमानत नहीं हुई तो मेरी स्वास्थ्य की स्थिति आउट आॅफ कंट्रोल हो जाएगी। इसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं होउंगा। अब मैं इस बारे में आगे से तुम्हें कुछ और नहीं कहूंगा।
तुम्हें मेरी स्थिति के बारे में रेबेका जी और नंदिता नारायण से बात करनी चाहिए। इस बारे में प्रोफेसर हरगोपाल और अन्य लोगों से भी बात करो। उन्हें पूरी स्थिति समझाओ। प्लीज जल्दी कुछ करो। मैं बहुत डिप्रेस्ड हूं। इस निराशा में मुझे लगता है कि मेरी हालत एक ऐसे भिखारी की तरह हो गई है जो बिल्कुल बेसहारा है। लेकिन आप में से कोई भी एक इंच नहीं चल रहा है, कोई भी मेरी स्थिति को समझ नहीं पा रहा है।
मुझे लगता है कि कोई भी मेरी स्थिति नहीं समझ पा रहा है। नहीं समझ पा रहा है कि एक 90 प्रतिशत विकलांग व्यक्ति कैसे इस स्थिति में एक हाथ से संघर्ष कर रहा है, जो कई बीमारियों से पीड़ित है। कोई भी मेरी ज़िंदगी की परवाह नहीं करता है। यह सिर्फ एक आपराधिक लापरवाही है, एक कठोर रवैया है।
तुम अपना भी ध्यान रखो। तुम्हारा स्वास्थ्य मेरा और पूरे परिवार का स्वास्थ्य है। इस वक्त तुम्हारे अलावा कोई दूसरा तुम्हारा ख्याल रखने वाला नहीं है।
जब तक मैं नहीं हूं, तब तक तुम्हें बिना किसी लापरवाही के अपनी खुद ही देखभाल करनी होगी।      

 बहुत सारा प्यार 
तुम्हारा 

साई

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