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Sunday, November 15, 2015

ब्राम्हणवादी फासीवाद का एक जवाब इंक़लाब जिंदाबाद !!!




आज ब्राम्हणवाद,मनुवाद,फासीवाद को प्रतीकात्मक तौर पर फूँक दिया गया | जुलूस  निकाला गया और नारे लगाये गए कि "आरक्षण नहीं जातियां  ख़त्म  करो!", "सिर्फ  भागीदारी नहीं सारी जमीनो/सत्ता पर कब्जेदारी चाहिए!", "जातिवाद-ब्राम्हणवाद-मनुवाद-फासीवाद को ध्वस्त करो!", "आरक्षण विरोधियो होश में आओ!", "बाबा साहब-भगत सिंह  के सपनो को मंजिल तक पहुचाएंगे!", "जय जय जय ....जय भीम फुले आंबेडकर भगत सिंह ! जाति व्यवस्था के  खिलाफ एक गीत  "हजारो सालो से गुलामी बेड़िया चीख कर कहती है  चाहिए चोट,  तोड़ दो तोड़ दो जाति की जंजीरे वक्त अब मांग रहा है भरपूर चोट." गाया गया |


 इस जुलूस और सभा में छात्र व शिक्षक शामिल हुए और उन्होंने बात भी रखी | उत्पीड़न के  सवाल पर कहा कि बैठे नरसंहार के सारे आरोपी बरी क्यों जवाब दो? और सारे क्षेत्रो का  निजीकरण किया जा रहा है जिससे आरक्षण का भी मतलब समाप्त होता जा रहा है इसका  विरोध होना चाहिए | इस समय संयुक्त
रूप से ब्राम्हणवाद-पूजीवाद के खिलाफ लड़ने की  जरुरत को महसूस किया गया और आह्वान किया गया |

इस प्रोटेस्ट में विभिन्न संगठनो के प्रतिनिधि,छात्र व शिक्षक शामिल हुए | जिसमे  मुख्य रूप से विनोद शंकर,विनय,अनूप,मनीष,युद्धेष,सुनील,हेमंत,मोनिश,संदीप ,चिंतामणि,डॉ. प्रमोद बागडे,डॉ. राहुल राज व अन्य लोग थे |






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